भगवान शिव का पसंदीदा फूल है चंपा, फिर भी क्यों नहीं किया जाता उन्हें अर्पित?
भगवान शिव का पसंदीदा फूल है चंपा, फिर भी क्यों नहीं किया जाता उन्हें अर्पित?
एक बार नारद मुनि को पता चला की एक ब्राह्मण ने अपनी बुरी इच्छाओं के लिए चंपा के फूल तोड़े और जब नारद मुनि ने वृक्ष से पूछा कि क्या किसी ने उसके फूलों को तोड़ा है तो पेड़ ने इससे इनकार कर दिया। सच्चाई जान गए थे नारद मुनि चंपा के फूल हालांकि जब नारद मुनि ने पास ही के शिव मंदिर में शिवलिंग को चंपा के फूलों से ढ़ंका पाया तो उन्हें सारी सच्चाई समझ आ गई और उन्हें यह बात की समझते देर नहीं लगी कि ब्राह्मण ने भगवान शिव की यहां पर पूजा की और भगवान की कृपा से वह ब्राह्मण एक शक्तिशाली राजा बन गया, जिसने गरीबों को परेशान करना शुरू कर दिया था और भगवान शिव ने उस ब्राह्मण की मुराद भी पूरी की। जब नारद ने भगवान से उस ब्राह्मण की मदद करने का कारण पूछा तो भगवान शिव ने कहा कि जो चंपा के फूल से मेरी पूजा करता था, उसे वो मना नहीं कर पाए। इसके बाद नारद मुनि वापस आए और चंपा के वृक्ष का शाप दे दिया कि उसके फूल कभी भी भगवान शिव की पूजा में स्वीकार नहीं किए जाएंगे, क्योंकि वृक्ष ने उनसे झूठ बोला और उन्हें गुमराह करने की भी कोशिश की। जिसके बाद आज तक भगवान शिव को अपने पसंदीदा फूल से दूर रहना पड़ता है।