आखिर क्यों आता हैं मंगल ग्रह को इतना क्रोध?
आखिर क्यों आता हैं मंगल ग्रह को इतना क्रोध?
स्कंद पुराण के अनुसार उज्जयिनी पुरी में अंधक नाम से प्रसिद्ध दैत्य के पुत्र कनक और इन्द्र के मध्य युद्ध में कनका मारा जाता है। जिसके बाद अंधकासुर और इंद्र का युद्ध होता है। इंद्र अंधकासुर की शक्ति के आगे कुछ नहीं थे। इसलिए इंद्र ने अपनी प्राण की रक्षा करने के लिए भगवान शिव की शरण में पहुँचे। शरणागत वत्सल शिव ने इंद्र को अभय प्रदान किया और अंधकासुर को युद्ध के लिए ललकारा, युद्ध अत्यंत घमासान हुआ, और उस समय लड़ते-लड़ते भगवान शिव के मस्तक से पसीने की एक बूंद पृथ्वी पर गिरी, उससे अंगार के समान लाल अंग वाले भूमिपुत्र मंगल का जन्म हुआ। इसलिए मंग्रह का स्वभाव क्रूर है। उन्हें गुस्सा शीघ्र ही आ जाता है। अंगारक, रक्ताक्ष और महादेव पुत्र, इन नामों से स्तुति कर ब्राह्मणों ने उन्हें ग्रहों के मध्य प्रतिष्ठित किया, इसके बाद उसी स्थान पर ब्रह्मा जी ने मंगलेश्वर नामक उत्तम शिवलिंग की स्थापना की। वर्तमान में यह स्थान मंगलनाथ मंदिर के नाम से प्रसिद्ध है, जो उज्जैन में स्थित है। मंगल ग्रह की शांति के लिए यहां उनकी पूजा आराधना की जाती है।