Guru Purnima 2021: गुरु पूर्णिमा क्यों मनाई जाती है ?
हम बात करेंगे 23 जुलाई की , गुरु पूर्णिमा क्यों मणि जाती है , पूजा विधि , शुभ मुहूर्त और हमारे लिए दीक्षा लेना क्यों जरुरी हैं प्रिय साथियों ,
देवताओ के गुरु जिस प्रकार सभी देवताओं में गुरु मना हैं उसी प्रकार हमें जो शिक्षा देते है , दीक्षा देते है उन्हें हम गुरु मानते है जो की ब्रम्हा , विष्णु ,महेश साक्क्षारत रूप माना गया है उनके चरणों में हम सत -सत प्रणाम करते हैं
बहुत सारे को confusion है कि गुरु पूर्णिमा 23 को है 24 को , आप इसे नोट कर लीजिएी गुरु पूर्णिमा 23 जुलाई को ही मनाया जायेगा !
जैसा की नाम से स्पष्ट है कि गुरु पूर्णिमा का पर्व गुरु के लिए समर्पित हैं और पूर्णिमा शब्द किसी भाव का पूर्णता को दर्शाता हैं जिसमें कुछ भी अधूरा न हो और जिसमे पूरी तरह से सभी प्रकार के ज्ञानता समावेश हो !
गुरु पूर्णिमा आषाढ़ माह के शुक्ल पक्ष के पूर्णिमा के तिथि को मनायी जाती है और यह 23 जुलाईको मनाई जाएगी गुरु पूर्णिमा महाभारत के रचयिता वेदव्यास की जन्मदिवस भी है , जिन्होंने चार वेदों की रचना की ! इनके सम्मान में गुरु पूर्णिमा को व्यासपूर्णिमा के नाम से भी जानते हैं ,वेदव्यास को समस्त मानव जाति का गुरु माना गया हैं इन्होंने श्रीमद
भगवत , महाभारत ब्रह्मसूत्र , वीमांसा और 18 पुराणों को भी रचना की हैं
हमारे भारतीय संस्कृति में गुरु का स्थान भगवान तुल्य माना जाता है गुरु ही आपके जीवन में अज्ञान और अंधकार दूर करते है आपको इस काबिल बनाते हैं जिससे आप अपने जीवन को सही दिशा और सही अर्थो के साथ जी सकें !
गुरु आपके उपकार का कैसे चुकायु मैं मोल
लाख कीमती धन भला, गुरु है मेरे अनमोल
गुरु की है दस पांचा , जब तक मिले ना सांचा
शीश कटायें गुरु मिले तो भी सस्ता जान
आने वाले हमारे Generation में गुरु और शिष्य का महत्व बताने के लिए यह एक आदर्श दिन हैं
गुरु गोविन्द दोउ खड़े ,काके लागू पांव ! बलिहारी गुरु आपने , गोविन्द दियो मिलाय !
इसका अर्थ है गुरु और भगवान एक साथ खड़े हैं और गुरु के चरणों में शीश झुकाना उतम है क्योकि गुरु ही हमे गोविन्द के भगवान के दर्शन करा सकते है हमारे जीवन में गुरु और शिक्षक वही है जो हमे कुछ नया सिखाते है और हमारा मार्ग दर्शन करते हैं इसलिए गुरु का सम्मान जरूर करना चाहिए और यहां श्रद्धा बहुत जरुरी हैं
जो गुरु के सामने शीश झुकाते है उसका सिर दुनिया में किसी के सामने नहीं झुकता है यही है गुरु कृपा!