sarsawati puja 2024 :2024 में कब है बसंत पूजा जानें माँ सरस्वती पूजा मुहूर्त विधि महत्व

नमस्कार दोस्तों स्वागत है आप सभी को हमारे ठाकुरप्रसाद  कैलेंडर वेबसाइट पर आज मैं आपको बताने जा रहा हूँ की साल 2024 में सरस्वती पूजा कब है तो आइये जानते है पूजा का शुभ मुहूर्त ,शुभ दिनांक शुभ तिथि।
हिंदू धर्म में देवी सरस्वती को ज्ञान और विद्या की देवी के रूप में जाना जाता है। शिक्षा के क्षेत्र में सफलता प्राप्त करने के लिए मां सरस्वती की पूजा-अर्चना मुख्य रूप से की जाती है। वहीं वसंत पंचमी का दिन मां सरस्वती को समर्पित माना जाता है। यह त्योहार आमतौर पर फरवरी में वसंत ऋतु में मनाया जाता है इसलिए इसे वसंत पंचमी कहा जाता है।

आइए जानते हैं कि 2024 में बसंत पंचमी कब है व बसंत पंचमी 2024 की तारीख व मुहूर्त। बसंत पंचमी माघ माह के शुक्ल पक्ष की पंचमी को मनाई जाती है। आज ही के दिन से भारत में वसंत ऋतु का आरम्भ होता है। इस दिन सरस्वती पूजा भी की जाती है। बसंत पंचमी की पूजा सूर्योदय के बाद और दिन के मध्य भाग से पहले की जाती है। इस समय को पूर्वाह्न भी कहा जाता है।

यदि पंचमी तिथि दिन के मध्य के बाद शुरू हो रही है तो ऐसी स्थिति में वसंत पंचमी की पूजा अगले दिन की जाएगी। हालाँकि यह पूजा अगले दिन उसी स्थिति में होगी जब तिथि का प्रारंभ पहले दिन के मध्य से पहले नहीं हो रहा हो; यानि कि पंचमी तिथि पूर्वाह्नव्यापिनी न हो। बाक़ी सभी परिस्थितियों में पूजा पहले दिन ही होगी। इसी वजह से कभी-कभी पंचांग के अनुसार बसन्त पंचमी चतुर्थी तिथि को भी पड़ जाती है।

पौराणिक मान्यताओं के अनुसार आज के दिन देवी रति और भगवान कामदेव की षोडशोपचार पूजा करने का भी विधान है।

षोडशोपचार पूजा संकल्प

ॐ विष्णुः विष्णुः विष्णुः, अद्य ब्रह्मणो वयसः परार्धे श्रीश्वेतवाराहकल्पे जम्बूद्वीपे भारतवर्षे,
अमुकनामसंवत्सरे माघशुक्लपञ्चम्याम् अमुकवासरे अमुकगोत्रः अमुकनामाहं सकलपाप – क्षयपूर्वक – श्रुति –
स्मृत्युक्ताखिल – पुण्यफलोपलब्धये सौभाग्य – सुस्वास्थ्यलाभाय अविहित – काम – रति – प्रवृत्तिरोधाय मम
पत्यौ/पत्न्यां आजीवन – नवनवानुरागाय रति – कामदम्पती षोडशोपचारैः पूजयिष्ये

सरस्वती पूजा
आज के दिन ऊपर दिए गए मुहूर्त के अनुसार साहित्य, शिक्षा, कला इत्यादि के क्षेत्र से जुड़े लोग विद्या की देवी सरस्वती की पूजा-आराधना करते हैं। देवी सरस्वती की पूजा के साथ यदि सरस्वती स्त्रोत भी पढ़ा जाए तो अद्भुत परिणाम प्राप्त होते हैं और देवी प्रसन्न होती हैं।
श्री पंचमी
आज के दिन धन की देवी ‘लक्ष्मी’ (जिन्हें श्री भी कहा गया है) और भगवान विष्णु की भी पूजा की जाती है। कुछ लोग देवी लक्ष्मी और देवी सरस्वती की पूजा एक साथ ही करते हैं। सामान्यतः क़ारोबारी या व्यवसायी वर्ग के लोग देवी लक्ष्मी की पूजा करते हैं। लक्ष्मी जी की पूजा के साथ श्री सू्क्त का पाठ करना अत्यंत लाभकारी माना गया है।ऊपर दी गईं सभी पूजाएँ पंचोपचार या षोडशोपचार विधि से करनी चाहिए।एक बात जो आपको हमेशा याद रखनी है वह यह कि पंचमी तिथि उसी दिन मानी जाएगी जब वह पूर्वाह्नव्यापिनी होगी; यानि कि सूर्योदय और दिन के मध्य भाग के बीच में प्रारंभ होगी।
करें सरस्वती वन्दना

या कुन्देन्दुतुषारहारधवला या शुभ्रवस्त्रावृता।

या वीणावरदण्डमण्डितकरा या श्वेतपद्मासना॥

या ब्रह्माच्युत शंकरप्रभृतिभिर्देवैः सदा वन्दिता।

सा मां पातु सरस्वती भगवती निःशेषजाड्यापहा॥१॥

शुक्लां ब्रह्मविचार सार परमामाद्यां जगद्व्यापिनीं।

वीणा-पुस्तक-धारिणीमभयदां जाड्यान्धकारापहाम्॥

हस्ते स्फटिकमालिकां विदधतीं पद्मासने संस्थिताम्।

वन्दे तां परमेश्वरीं भगवतीं बुद्धिप्रदां शारदाम्॥२॥

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

error: Content is protected !!