Skip to content
होलिका दहन की आग में क्यों जलाई जाती हैं गेहूं की 7 बालियां?
रंग और खुशियों के त्योहार होली में होलिका दहन का खास महत्व है। यूं तो इसकी तैयारी होली से 8 दिन पहले से ही शुरू हो जाती है और लोग इस दिन से ही लकड़ियां एकत्र करने लगते हैं। यह दिन होलाष्टक कहलाता है। शास्त्रों के अनुसार, इस रात का महत्व भी दीपावली और शिवरात्रि जैसा ही होता है। जिस तरह दीपावली और शिवरात्रि के दिन रातों को दैवी शक्तियां जागृत रहती हैं, उसी प्रकार होलिका दहन की रात को भी ऐसा ही होता है। मान्यताओं के अनुसार, होलिका की पूजा करने का बाद उसे जलाना चाहिए और फिर इसकी सात परिक्रमा करनी चाहिए। इससे रोग और नकारात्मक शक्तियों का प्रभाव दूर होता है। होलिका जलाने के दौरान उसमें मिठाइयां एवं सात प्रकार के अनाज और गेहूं की बालियां डालने की परंपरा भी रही है। गेहुं कि फसल की नई पैदावार घर-घर में खुशियां लेकर आती है और लोग घर में सुख-समृद्धि की कामना के लिए होलिका दहन के दौरान गेहूं की बालियां डालते हैं। मान्यता है कि पहला गेहूं ईश्वर और पूर्वजों को भेंट करने से पूरे साल घर में उनका आशीर्वाद और सुख, शांति, समृद्धि तथा खुशहाली बनी रहती है। होलिका दहन के दौरान अग्नि में गेहूं की सात बालियों को डालना शुभ माना जाता है। दरअसल, इस अंक को शुभ माना गया है और इस वजह से ही हिन्दू विवाह में भी सात फेरों का ही चलन है।
आज का महाउपाय-
होलिका दर्षन कर राहु-केतु और शनि आदि के दोषों को दूर करने के लिए करें यह उपाय।
होलिका दहन दर्शन है लाभकारीः-होलिका दहन का दर्शन जरूर करना चाहिये। इसके दर्शन से राहु-केतु, शनि आदि के दोष शांत हो जाते हैं। होलिका दहन के समय गोमती चक्र को हाथ में लेकर 21 बार मन ही मन जो भी आपकी कामना है उसे दोहराएं। उसके बाद गोमती चक्र को होलिका में डाल दें और होलिका को प्रणाम करें। इससे जल्द ही आपकी मनोकामना पूर्ण होगी।
error: Content is protected !!