क्यों करना पड़ता है नवरात्रों में ब्रह्मचर्य का पालन?

क्यों करना पड़ता है नवरात्रों में ब्रह्मचर्य का पालन?

हिन्दू धर्म ग्रंथ पुराणों के अनुसार माता भगवती की आराधना का श्रेष्ठ समय नवरात्र को ही माना गया है। नवरात्रों में लोग अपनी आध्यात्मिक और मानसिक शक्तियों में वृद्धि करने के लिए अनेक प्रकार के उपवास, संयम, भजन, पूजन योग साधना आदि करते हैं। नवरात्र एक ऐसा समय है जब हम देवी का आह्वान करते हैं। ऐसी मान्यता है कि इस दौरान मां देवी हमारे घर पधारती हैं। ऐसे में शास्त्रों के हिसाब से हमे न केवल मांस, मदिरा का त्याग करना चाहिए बल्कि नौ दिनों तक ब्रह्मचर्य का पूर्णतः पालन करना चाहिए। इसके अलावा शारीरिक संबंध बनाने पर शरीर में कुछ विशेष तरह के हार्मोंस का भी निष्कर्षण होता है जिसकी वजह से नकारात्मक शक्तियां जल्दी ही अपनी चपेट में ले लेती हैं। ज्यादातर घरों में नवरात्र के समय पति-पत्नी अलग-अलग रहते हैं। आप अशुद्ध मन से देवी मां की पूजा कर नहीं सकते इसलिए कम से कम उन नौ दिनों तक खुद पर नियंत्रण रखिए जिस दौरान स्वयं देवी मां हमारे घर पधारती हैं।

आज का महाउपाय-

संतान संबंधित चिन्ताओं से मुक्ति के लिए अष्टमी तिथि यानि आठवें दिन महागौरी माता का ध्यान व पूजा अर्चना करें, सर्वमंगलमंगल्ये शिवे सवार्थसाधिके। शरणये त्रयबके गौरि नारायणि नमोस्तुते। मंत्र का जाप एक माला करें। इस दिन नारियल का भोग लगाना चाहिए तथा नारियल दान करने से संतान संबंधित चिन्ताओं से मुक्ति मिलती है।

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