क्यों पूजा जाता है कुल देवी-देवताओं को, क्यों होते है सभी के अलग-अलग कुल देवी-देवता।

क्यों पूजा जाता है कुल देवी-देवताओं को, क्यों होते है सभी के अलग-अलग कुल देवी-देवता।

हिन्दू धर्म में पारिवारिक आराध्य व्यवस्था में कुल देवता या कुलदेवी का स्थान सदैव उच्च रहा है। हर घर मे कुलदेवी या देवता की पूजा होती है। प्रत्येक हिन्दू परिवार किसी न किसी ऋषि के वंशज हैं। जिनसे उनके गोत्र का पता चलता है। बाद में कर्मानुसार इनका विभाजन वर्णों में हो गया विभिन्न कर्म करने के लिए। पूर्व के हमारे ऋषी कुलों अर्थात पूर्वजों के खानदान के वरिष्ठों ने अपने अराध्य देवी देवता को कुल देवता अथवा कुलदेवी का कह कर उन्हें पूजना शुरू किया था। भारतीय लोग हजारों वर्षों से अपने कुलदेवी और देवता की पूजा करते आ रहे हैं। जन्म, विवाह आदि मांगलिक कार्यों में कुलदेवी या देवताओं के स्थान पर जाकर उनकी पूजा की जाती है। इसके अलावा एक ऐसा भी दिन होता है जबकि संबंधित कुल के लोग अपने देवी और देवता के स्थान पर इकट्ठा होते हैं। हजारों वर्षों से अपने कुल को संगठित करने और उसके इतिहास को संरक्षित करने के लिए ही कुलदेवी और देवताओं को एक निश्‍चित स्थान पर नियुक्त किया जाता था। वह स्थान उस वंश या कुल के लोगों का मूल स्थान होता था।

आज का महाउपाय-
सुख-सुविधा और समृद्धि के लिए करें यह उपाय।

शुक्र सुखों के देवता हैं, जिस व्यक्ति की कुंडली में शुक्र उच्च स्थिति में होता है उस व्यक्ति को जीवन के सभी सुख मिलते हैं। शुक्रवार को सूर्योदय से पहले उठकर स्नान करें। फिर सफेद वस्त्र धारण कर भगवान शिव को जल मिश्रित दूध अर्पित कर उन्हें सफेद पुष्प चढ़ाएं। इसके बाद शुक्र स्तोत्र का पाठ करें, इससे शुक्र देव प्रसन्न और शुक्र ग्रह मजबूत होते है।

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