Dussehra 2023 : दशहरा कब है ? जानें डेट, रावण दहन का मुहूर्त और महत्व
दशहरा या विजयदशमी का पर्व बुराई पर अच्छाई की जीत के प्रतीक के रूप में मनाया जाता है. हिंदू धर्म में दशहरा के पर्व का विशेष महत्व है. इस साल दशहरा 24 अक्टूबर को मनाया जाएगा. इस बार दशहरा वृद्धि योग एवं रवि योग में मनाया जायेगा. ज्योतिषाचार्य डॉ. अनीष व्यास ने बताया कि इस साल दशहरा पर्व पर दो शुभ योग भी बन रहे हैं.
दशहरे का महत्व
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, रावण ने भगवान राम की पत्नी माता सीता का अपहरण किया था, जिसके कारण उनके बीच एक घातक युद्ध हुआ था। राक्षस राजा रावण के नाभी कुंभ में अमृत होने के कारण वह अविनाशी हो गया था। लेकिन कई परिस्थितियों और घटनाओं के बाद राम रावण की नाभि में तीर मारकर उसका वध करने में कामयाब होते हैं। पौराणिक काल से ही इस दिन को हिंदू कैलेंडर के अश्विन महीने के 10 वें दिन दशहरे के रूप में मनाया जाता है।
भारत के लोग दशहरे को बुराई पर अच्छाई की जीत के सम्मान में मनाते हैं। भारत के पूर्वी हिस्सों में भक्त इस दिन को दुर्गा पूजा के अंत के रूप में भी मनाते हैं जो नवरात्रि के त्योहार से शुरू होता है।
दशहरे का इतिहास
ऐसा माना जाता है कि दशहरे का उत्सव 17वीं शताब्दी में शुरू हुआ था, जब मैसूर के राजा ने इस दिन को बड़े पैमाने पर मनाने का आदेश दिया था। तब से, इस दिन को बहुत उत्साह और ऊर्जा के साथ मनाया जाता है। इस दिन से जुड़ी कई पौराणिक कथाएं हैं।
पौराणिक कथाओं में दशहरा
- रामायण के अनुसार दशहरे पर देवी सीता के अपहरण के क्रूर कृत्य का बदला लेने के लिए इस दिन भगवान राम द्वारा रावण का वध किया गया था।
- कुछ मान्यताओं के अनुसार दशहरे के दिन देवी दुर्गा ने नवरात्रि के दौरान राक्षस महिषासुर का वध किया था। देवी दुर्गा और भयानक राक्षस के बीच नौ दिनों और रातों तक लगातार लड़ाई के बाद महिषासुर का वध हुआ था। इसलिए इस तिथि को दशहरा मनाया जाता है। यह महिषासुरमर्दिनी की जीत और बुराई की हार का प्रतीक है।
- दशहरे से जुड़ी एक मान्यता हमें महाभारत काल से भी जोड़ती है। महाभारत के अनुसार, यह दिन अर्जुन की जीत की याद दिलाता है जिसने अपने पराक्रम से पूरी कौरव सेना को हरा दिया था। अर्जुन को विजया के नाम से भी जाना जाता है और इसलिए, जिस दिन उसने सेना को नष्ट किया उसे विजया दशमी कहा जाता है।
- दशहरे से जुड़ी एक अन्य कहानी कौत्स के राजा रघु से जुड़ी है। कहानी के अनुसार कौत्स के राजा रघु से उनके गुरू ने अपने ज्ञान के बदले 14 करोड़ सोने के सिक्के मांगे। रघुराज मदद के लिए इंद्र के पास गए, जिन्होंने भगवान कुबेर से अयोध्या शहर पर सिक्कों की बारिश करने के लिए कहा। कौत्स ने अपने गुरु को 14 करोड़ सिक्के देने के बाद शेष अयोध्यावासियों को बांट दिए।
दशहरे पर इस पक्षी का दिखना है अति शुभ
दशहरे के दिन नीलकंठ भगवान के दर्शन करना अति शुभ माना जाता है. इस दिन माना जाता है कि अगर आपको नीलकंठ पक्षी के दर्शन हो जाए तो आपके सारे बिगड़े काम बन जाते हैं. नीलकंठ पक्षी को भगवान का प्रतिनिधि माना गया है. दशहरे पर नीलकंठ पक्षी के दर्शन होने से पैसों और संपत्ति में बढ़ोतरी होती है. मान्यता है कि यदि दशहरे के दिन किसी भी समय नीलकंठ दिख जाए तो इससे घर में खुशहाली आती है और वहीं, जो काम करने जा रहे हैं, उसमें सफलता मिलती है
रावण दहन मुहूर्त (Dussehra 2023 Ravan Dahan Time)
ज्योतिषाचार्य ने बताया कि दशहरा के दिन लंकापति रावण और उसके भाई कुंभकर्ण और पुत्र मेघनाथ के पुतलों का दहन किया जाता है. पुतलों का दहन सही समय में किया जाए, तो ही शुभ माना जाता है. विजयदशमी के दिन यानी 24 अक्टूबर को पुतलों के दहन का शुभ मुहूर्त सूर्यास्त के समय शाम 05:43 मिनट से लेकर ढाई घंटे तक होगा.
पूजन विधि (Dussehra Puja Vidhi)
ज्योतिषाचार्य ने बताया कि दशहरे के दिन सुबह जल्दी उठकर, नहा-धोकर साफ कपड़े पहने और गेहूं या चूने से दशहरे की प्रतिमा बनाएं. गाय के गोबर से 9 गोले व 2 कटोरियां बनाकर, एक कटोरी में सिक्के और दूसरी कटोरी में रोली, चावल, जौ व फल रखें. अब प्रतिमा को केले, जौ, गुड़ और मूली अर्पित करें. यदि बहीखातों या शस्त्रों की पूजा कर रहे हैं तो उन पर भी ये सामग्री जरूर अर्पित करें. इसके बाद अपने सामर्थ्य के अनुसार दान-दक्षिणा करें और गरीबों को भोजन कराएं. रावण दहन के बाद शमी वृक्ष की पत्ती अपने परिजनों को दें. अंत में अपने बड़े-बुजुर्गों के पैर छूकर उनसे आशीर्वाद प्राप्त करें.