कहां और क्यों खेली जाती है लड्डू होली?

कहां और क्यों खेली जाती है लड्डू होली?

मथुरा और वृंदावन में खेली जाने वाली अनोखी और खास लड्डू होली की कहानी बहुत रोचक है। बरसाने के लाडली मंदिर से लड्डू की होली शुरू होती है। लाडली मंदिर में लड्डू होली वाले दिन राधा-कृष्ण के भक्त एक दूसरे पर लड्डू, रंग और गुलाल उड़ाते हैं। वहीं, राधा-कृष्ण की नगरी मथुरा, वृंदावन में होली की शुरुआत 8 दिन पहले ही हो जाती है। वृंदावन, फाल्गुन मास की अष्टमी को मथुरा, वृंदावन में लड्डू होली खेली जाती है। इस मंदिर में लड्डू होली वाले दिन राधा-कृष्ण के भक्त एक दूसरे पर लड्डू, रंग और गुलाल उड़ाते हैं। ऐसी मान्यता है कि इस होली की शुरुआत श्रीकृष्ण के बालपन से हुई थी। जब भगवान श्रीकृष्ण और नंदगांव के सखाओं ने बरसाना में होली खेलने का न्योता स्वीकार कर लिया था। न्योता मिलने की खुशी में नंदगांव के सखाओं ने एक दूसरे को लड्डू खिलाकर मुंह मीठा किया था। इस दौरान कुछ सखाओं ने लड्डू से होली भी खेली थी। आज भी मथुरा, वृंदावन के मंदिरों में लड्डू होने वाले दिन भक्त पहले राधा रानी मंदिर के सेवायत पर लड्डू फेंकते हैं। राधा रानी और कृष्ण को लड्डू अर्पित करने के बाद भक्त एक दूसरे पर लड्डू फेंकते हैं, नृत्य करते है और गुलाल लगाते हैं।

आज का महाउपाय-

शनिदोष जनित परेशानियों को दूर करने के लिए आज सुबह मूंगे की माला से सूर्य पुत्रो दीर्घ देहो विशालाक्षः शिव प्रियः। मंदाचार प्रसन्नात्मा पीड़ां दहतु में शनिः।। मंत्र का 108 बार जाप करें। घर के मुख्य द्वार के बाईं ओर या किसी मंदिर के आसपास में शमी का पेड़ लगाए और उसकी नियमित रूप से देखभाल करें। संध्या समय में पीपल को जल अर्पित कर तेल का दीपक प्रज्वलित करें

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