परिजात के पुष्प की क्या है विषेषता?

परिजात के पुष्प की क्या है विषेषता?

परिजात के फूल बेहद खुशबूदार तो होते ही हैं साथ ही साथ औषधि के तौर पर भी इनका प्रयोग होता है। एक बार नारद ऋषि इन्द्रलोक से इस वृक्ष के कुछ पुष्प लेकर श्री कृष्ण के पास गए। श्री कृष्ण ने ये पुष्प उनसे लेकर अपने निकट बैठी पत्नी रुक्मणी को दे दिए। नारद, श्री कृष्ण की दूसरी पत्नी सत्यभामा के पास गए और उनसे कहा कि परिजात के बेहद खूबसूरत पुष्प श्री कृष्ण ने रुक्मणी को सौंप दिए और उनके लिए एक भी नहीं रखा। सत्यभामा ईष्र्या से भर गईं और श्री कृष्ण से जिद करने लगीं कि उन्हें परिजात का दिव्य वृक्ष चाहिए। श्री कृष्ण अपनी पत्नी सत्यभामा के साथ इन्द्रलोक पहुचे। जब श्री कृष्ण परिजात का वृक्ष ले जा रहे थे तब देवराज इन्द्र ने वृक्ष को यह श्राप दे दिया कि इस पेड़ के पुष्प दिन में नहीं खिलेंगे। सत्यभामा की जिद की वजह से श्री कृष्ण परिजात के पेड़ को धरती पर ले आए और सत्यभामा की वाटिका में लगा दिया। लेकिन सत्यभामा को सबक सिखाने के लिए उन्होंने कुछ ऐसा किया कि वृक्ष लगा तो सत्यभामा की वाटिका में था। लेकिन इसके पुष्प रुक्मणी की वाटिका में गिरते थे। इस तरह सत्यभामा को वृक्ष तो मिला लेकिन फूल रुक्मणी को ही प्राप्त होते थे। यही वजह है कि परिजात के पुष्प, अपने वृक्ष से बहुत दूर जाकर गिरते हैं। यह पेड़ वर्ष में बस जून माह में पुष्प देता है। धन की देवी को भी परिजात के पुष्प अत्याधिक प्रिय हैं इसलिए उनकी पूजा में परिजात के पुष्प जरूर अर्पण करने चाहिए।

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